जानिए उंगलियां चटकाने पर क्‍यों आती है आवाज़?

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जानिए उंगलियां चटकाने पर क्‍यों आती है आवाज़?


जानिए उंगलियां चटकाने पर क्‍यों आती है आवाज




हम सभी ने कभी ना कभी अपनी जिंदगी में उंगलियों को चटका कर जरूर देखा होगा। उंगलियां चटकाने पर जो आवाज़ आती है वो मन को अच्‍छी लगती है लेकिन क्‍या आपने कभी ये सोचा है कि उंगलियां चटकाने पर आवाज़ क्‍यों आती है ?

जी हां, आज हम आपको यही रोचक जानकारी देने वाले हैं कि उंगलियां चटकाने पर आवाज़ क्‍यों आती है।

क्‍या कहते हैं शोधकर्ता?

इस बारे में अमेरिका और फ्रांस और शोधकर्ताओं का कहना है कि इसकी वजह गणित के तीन समीकरणों से पता लगाई जा सकती है। उनके मॉडल की मानें तो ये आवाज़ हड्डियों के जोड़ में मौजूद तरल पदार्थ में बुलबुले फूटने की वजह से आती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मुद्दे को लेकर पूरी एक सदी से बहस चली आ रही है।
फ्रांस में विज्ञान के एक छात्र को क्‍लास में उंगलियां चटकाते हुए इस बात का ख्‍याल आया कि इस दौरान आवाज़ आने का क्‍या कारण है। बस तभी उन्‍होंने अपने टीवर के साथ मिलकर गणितीय समीकरणों की एक सीरीज़ तैयार की जिसकी मदद से बताया जा सके कि उंगलियों और कलाई के जोड़ों को चटकाने पर आवाज़ क्‍यों आती है और कैसे ये सब होता है।



उंगलियों में बुलबुले फूटते हैं

इस छात्र का कहना है कि
  • पहले समीकरण के अनुसार जब हम उंगलियों को चटकाते हैं तो हमारी हड्डियों के जोड़ों में अलग-अलग दबाव होता है
  • जबकि दूसरे समीकरण के अनुसार अलग दबाव से बुलबुलों का साइज़ भी अलग ही होता है।
  • तीसरे समीकरण में अलग-अलग साइज़ वाले बुलबुलों को आवाज़ करने वाले बुलबुलों के साइज़ के साथ जोड़ा।
इन तीनों समीकरणों से एक पूरा गणित का मॉडल बन गया जोकि उंगलियां चटकाने पर आने वाली आवाज़ के कारण के बारे में बताता है।

उंगलिया चटकाने पर आवाज़ का कारण

जब हम अपनी उंगलियां चटकाते हैं तो उस समय हम अपने जोड़ों को खींच रहे होते हैं और ऐसा करते समय दबाव कम होता है। बुलबुले तरल के रूप में होते हैा जिसे साइनोवियल फ्लूइड कहा जाता है। उंगलिया चटकाने पर जोड़ों का दबाव बदलता है और उससे बुलबुले भी तेजी से घटने और बढ़ने लगते हैं। इसी वजह से उंगलियां चटकाने पर आवाज़ आती है।

इसके उलट है सिद्धांत

इस मॉडल से दो अलग और विपरीत सिद्धांतों में एक संबंध बनता हुआ दिखाई दे रहा है। बुलबुले फूटने से आवाज़ आने वाली बात सबसे पहले 1971 में सामने आई थी। इसके 40 साल बाद नए प्रयोगों के बाद इसे फिर से चुनौती दी गई जिसमें बताया गया है कि बुलबुले उंगलियां चटकाने के काफी देर बाद भी फ्लूइड में बने रहते हैं। इस मॉडल पर विश्‍वास करें तो बुलबुलों के फूटने से ही आवाज़ आती है। इ‍सलिए उंगलियां चटकने के बाद भी छोटे बुलबुले तरल में बने रहते हैं।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जनरल में प्रकाशित हुई इस स्‍टडी से पता चलता है कि बुलबुले फूटने से जो दबाव बनता है उससे वेव पैदा होती है जिसे गणित के समीकरणों द्वारा जाना और मापा जा सकता है।

कुछ लोग नहीं चटका पाते उंगलियां

कुछ लोग उंगलियां नहीं चटका पाते हैं और इसका कारण उंगलियों के टखनों की हड्डियों में ज्‍यादा जगह होना है जिससे दबवा उतना नहीं बन पाता है जिससे की आवाज़ आ सके।
गणित के इस समीकरण की मदद से आप ये तो समझ ही गए होंगें कि उंगलियां चटकाने पर आवाज़ क्‍यों आती है।