सारा अली ख़ान ने क्यों कहा, "मैं बोलना शुरू करूं तो रोज़ धमाके हों"

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सारा अली ख़ान ने क्यों कहा, "मैं बोलना शुरू करूं तो रोज़ धमाके हों"

फ़िल्म केदारनाथ से अपना बॉलिवुड करियर की शुरू करने वाली सारा अली ख़ान बड़ी ही बेबाक़ी से कहती हैं "मैं फ़िल्म इंडस्ट्री में समाज बदलने के लिए नहीं आई हूं."
बीबीसी ने जब उनसे पूछा कि एक अभिनेता के लिए मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक दायित्व में संतुलन लाना कितना अनिवार्य है?
तो इसके जवाब में सारा अली ख़ान ने कहा "समाज को संदेश देने के लिए दूसरे प्लेटफ़ॉर्म मौजूद हैं. अगर मुझे संदेश ही देना होगा तो मैं डॉक्यूमेंट्री बनाऊंगी. पर मैं यहाँ डॉक्यूमेंट्री बनाने नहीं आई हूँ. मुझे अच्छी कहानियों का हिस्सा बनना है. मैं उन कहानियों के ज़रिए लोगों तक पहुंचना चाहती हूँ. मैं वो किरदार निभाना चाहती हूँ."
सारा अली ख़ान ने कहा "मैं अपने आप को एक एंटरटेनर मानती हूं जो आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचना चाहती है. पर सामाजिक संदेश देने का भार वे अपने कंधों पर नहीं उठाना चाहतीं."


उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ़ अपनी फ़िल्मों और क़िरदारों के ज़रिए ही किसी को कोई संदेश दे सकती हूँ क्योंकि यही मेरी सीमा है."
सारा अली ख़ान ने यह स्पष्ट किया कि फ़िल्मों में निभाये गए उनके किरदार उनके व्यक्तिगत जीवन से अलग हैं और वे यह बखूबी जानती हैं.
बीते दिनों कई अभिनेता राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी कर सुर्खियों में आए थे लेकिन सारा ऐसी प्रतिक्रियाएं नहीं देतीं? इस सवाल के जवाब में सारा ने कहा कि इन मामलों में वे चुप्पी बनाए रखना ही बेहतर समझती हैं.
वे कहती हैं, "मैं जिस तरह की लड़की हूँ, अगर बोलना शुरू कर दूं तो रोज़ धमाके हो सकते हैं, इसलिए मैं चुप ही रहती हूँ."
"यहाँ आपके बयानों का इतना सूक्ष्म परीक्षण होता है कि वो आपको आपके काम से भटका देते हैं और ऐसे में मेरे जैसे उत्साही लोग भयानक परिस्थिति में फंस सकते हैं. इसलिए मैं चाहती हूँ कि मेरा काम ही बोले."

सारा अली ख़ानइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

14 फ़रवरी को रिलीज़ हुई फ़िल्म 'लव आज कल' में सारा अली ख़ान, कार्तिक आर्यन के साथ मुख्य किरदार में हैं जिसका निर्देशन इम्तियाज़ अली ने किया है.
जहाँ फ़िल्म के दोनों कलाकारों की केमिस्ट्री चर्चा में है वहीं सारा इस बात को लेकर शुक्रगुज़ार हैं कि अब तक के करियर में उन्हें अपना अभिनय दिखाने का भरपूर मौक़ा मिला है.