इस्लामी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान साल का नौवां महीना होता है.
रमजान रहमत, मगफिरत और आग से निजात का महीना होता है.
इस्लाम के मुताबिक रोजा अक्लमंद, व्यस्क, सेहतमंद पर फर्ज है.
इस महीने में मुस्लिमों में सामूहिक अफ्तार पार्टी देने का चलन है.
इस बार मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान कोरोना वायरस महामारी के बीच पड़ रहा है. रमजान के पूरे महीने वैसे तो खास आयोजन किए जाते हैं. सामूहिक इबादतों का चलन और रोजा खोलने की परंपरा है. मगर इस साल लॉकडाउन का साया सामूहिक आयोजन पर मंडरा रहा है. सरकार और धार्मिक संस्थाओं ने मुसलमानों से मस्जिदों में भीड़भाड़ से बचने की सलाह दी है.
रमजान की शुरुआत चांद देखे जाने पर निर्भर है. इस बार अगर रमजान का चांद अगर 23 अप्रैल को दिखाई देता है तो 24 अप्रैल को पहला रोजा पड़ेगा. वहीं, 24 अप्रैल को चांद के नजर आने पर पहला रोजा 25 अप्रैल को रखा जाएगा. मुसलमानों के नजदीक इस महीने की फजीलत (खूबी) बहुत ज्यादा है. माना जाता है कि शैतान के बांध दिए जाने से नेकियों का करना आसान हो जाता है. हर नेकी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.