फांसी के पहले अक्षय से अंतिम मुलाकात नहीं कर सकी पत्‍नी, कोर्ट में किया हाई वोल्‍टेज ड्रामा

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फांसी के पहले अक्षय से अंतिम मुलाकात नहीं कर सकी पत्‍नी, कोर्ट में किया हाई वोल्‍टेज ड्रामा

निर्भया सामूहिक दुष्‍कर्म व हत्‍याकांड मामले में जिन चार दोषियों को शुक्रवार की सुबह फांसी दी गई, उनमें बिहार के औरंगाबाद का मूल निवासी अक्षय ठाकुर भी शामिल था। अक्षय की उसकी पत्‍नी पुनीता व छोटे बेटे से अंतिम मुलाकात गुरुवार को होने वाली थी। लेकिन देर से पहुंंचने के कारण तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। पुनीता ने jagran.com से खास बातचीत में इसकी जानकारी दी। साथ ही यह भी बताया कि वह पति से क्‍या बात करने वाली थी। वह पति को निर्दोष मानती है। अब वह शुक्रवार को अक्षय के अंतिम संस्‍कार के बाद ही बिहार लौटेगी।



इसके पहले दिल्‍ली के पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया मामले के दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के बाहर तब हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला, जब एक दोषी अक्षय की पत्नी पुनीता खुद अपने व नाबालिग बेटे को भी फांसी देने की मांग करते हुए खुद को सैंडिल से पीटने लगी तथा बेहोश होकर गिर पड़ी। उसने कहा कि समाज उसके निर्दोष पति के पीछे पड़ा है।

विदित हो कि 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्‍ली में एक फिजियोथिपिस्‍ट लड़की निर्भया (काल्‍पनिक नाम) के साथ छह दरिंदों ने सामूहिक दुष्‍कर्म किया था। इस मामले के एक नागलिग दोषी को कुछ साल जेल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। शेष पांच में एक आरोपित राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्‍महत्‍या कर ली। अन्‍य चार दोषियों विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता और मुकेश को 20 मार्च की सुबह में फांसी दी जानी है। इस बीच दोषी अक्षय की पत्‍नी पुनीता ने पति के खिलाफ तलाक का मुकदमा दायर कर दिया है। अक्षय से अंतिम मुलाकात में पुनीता तलाक को लेकर भी बात करने वाली थी।

पत्‍नी बोली- किसी ने नहीं सुनी मेरी आवाज


पुनीता ने बताया कि यह फांसी अक्षय को नहीं, उसे दी गई। इस मामले में मीडिया ट्रायल को लेकर नाराजगी प्रकट करते हुए उसने कहा कि सबों ने निर्भया की मां की आवाज सुनी, उसकी किसी ने नहीं सुनी। उसने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नारी सुरक्षा की बात करते हैं। वह भी तो एक नारी है। उसके साथ न्‍याय क्‍यों नहीं हो सका?

तिहाड़ जेल में पति से नहीं हुई अ‍ंतिम मुलाकात


पुनीता ने बताया कि तिहाड़ जेल से अंतिम मुलाकात के लिए बुलावा आने पर वह अपने जेठ विनय सिंह तथा झारखंड के डाल्‍टेनगंज में रहने वाले अपने भाई दिनेश्‍वर सिंह के साथ बुधवार की शाम ट्रेन से औरंगाबाद से चलकर गुरुवार को दिल्‍ली पहुंची। पति से मुलाकात के लिए शुक्रवार की शाम में वक्‍त मिला, लेकिन पहुंचने में विलंब हो गया। इस कारण जेल प्रशासन ने अ‍ंतिम मुलाकात की अनुमति नहीं दी।

खास होती है फांसी बंदियों की अंतिम मुलाकात


डेथ वारंट जारी होने के बाद फांसी बंदियों की इच्‍छा के अनुसार को उनकी अंतिम मुलाकात कराने का प्रावधान है। इसमें मिलने वालों की संख्‍या या मुलाकात की अवधि का कोई बंधन नहीं रहता है। अंतिम मुलाकात जेल अधीक्षक के कार्यालय में होती है। अक्षय ठाकुर की अंतिम मुलाकात में विलंब का कारण उसका विलंब से इसकी इच्‍छा जाहिर करना तो मुलाकात का नहीं हो पाना परिवार का देर रात जेल पहुंचना रहा।