बॉलीवुड में दिव्या भारती जैसी शायद ही कोई हीरोइन रही हो जिसने करियर के पहले साल में ही 12 फिल्में कीं, जबरदस्त हिट हुई, लेकिन दूसरे ही साल मौत को गले लगा कर चली गई। इनका नाम आते ही 'ऐसी दीवानगी' और 'सात समंदर' याद आता है। 25 फरवरी 1974 को जन्मी दिव्या आज अगर होतीं तो 44 साल की हो गई होतीं। लेकिन 19 साल की कम उम्र में ही वे चल बसीं और मौत की वजह आज तक साफ नहीं हो पाई।
दिव्या भारती ने 1992 में फिल्म 'विश्वात्मा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया। हालांकि इससे पहले वे कुछ तेलेगू फिल्में कर चुकी थीं। विश्वात्मा में ही उन्हें गाना मिला सात समंदर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गई। इस गाने ने दिव्या को गजब की सफलता दिलाई। फिर इसी के बाद दिव्या ने लगातार 10 और हिंदी फिल्में की। जिसमें शोला औऱ शबनम, दिल का क्या कसूर, जान से प्यारा, दीवाना, दिल आशना है, गीत भी शामिल थीं।
उस रात, मौत के चंद घंटों पहले क्या हुआ था दिव्या भारती के साथ!
दिव्या को दीवाना के लिए लक्स न्यू फेस ऑफ द ईयर अवार्ड भी मिला। एक ही साल में दिव्या ने अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली थी।
5 अप्रेल 1993 को अंतिम सांस लेने वाली दिव्या ने सुहागन ही दम तोड़ा क्योंकि उससे ठीक एक साल पहले ही तो उनकी शादी हुई थी।
दिव्या भारती जब शोला औऱ शबनम की शूटिंग कर रही थीं तब फिल्म के हीरो गोविंदा ने उन्हें निर्देशक-निर्माता साजिद नाडियाडवाला से मिलवाया था। दोनों में प्यार हुआ और शादी करने का फैसला कर लिया। दिव्या ने इस्लाम धर्म कबूला और 10 मई 1992 को शादी कर ली। कुछ का तो ये तक कहना था कि दिव्या की आक्समिक मौत के पीछे साजिद का हाथ था! क्या हुआ था 5 अप्रेल की रात, जानिए।
दिव्या की अचानक हुई मौत के पीछे कई अटकलें लगाई गईं। कईयों ने इसे आत्महत्या बताया, कुछ ने एक्सीडेंट तो कुछ ने पति को जिम्मेदार बताया। एक वजह ये भी बताई गई कि साजिद के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते होने की बात से दिव्या परेशान रहती थीं। उनकी मां के साथ भी उनकी अनबन रहती थी। रिश्तों से हार चुकी दिव्या ने मौत को ही आखिरी रास्ता चुना
कई सालों तक तहकीकात करने के बावजूद पुलिस नजीते पर नहीं पहुंच पाई और 1998 में ये केस बंद कर दिया गया। लेकिन क्या हुआ था उस रात, कैसे हुई दिव्या की मौत और चंद घंटों पहले तक क्यों इतनी खुश थी दिव्या?
अपनी मौत वाले दिन ही दिव्या ने मुंबई में ही अपने लिए नया 4 बीएचके का घर खरीदा था और डील फाइनल की थी। दिव्या ने ये खुशखबरी अपने भाई कुणाल को भी दी थी। दिव्या उसी दिन शूटिंग खत्म कर के चेन्नई से लौटी थीं। उनके पैर में भी चोट थी।
रात के करीब 10 बजे होंगे जब मुंबई के पश्चिम अंधेरी, वरसोवा में स्थित तुलसी अपार्टमेंट के पांचवें माले पर उनके घर में उनकी दोस्त और डिजाइनर नीता लुल्ला अपने पति के साथ उनसे मिलने आई हुई थीं। तीनो लिविंग रूम में बैठे बातों में मस्त थे औऱ मदिरापान चल रहा था। साथ ही दिव्या की नौकरानी अमृता भी बातचीत में हिस्सा ले रही थी। किसे पता था इसके चंद मिनटों बाद ऐसी दुर्घटना घट जाएगी।
रात के करीब 11 बज रहे थे। अमृता किचन में कुछ काम करने गईं, नीता अपने पति के साथ टीवी देखने में व्यस्त थीं। इसी वक्त दिव्या कमरे की खिड़की की तरफ गईं और वहीं से तेज आवाज में अपनी नौकरानी से बातें कर रही थीं। दिव्या के लिविंग रूम में कोई बालकनी नहीं थी लेकिन इकलौती ऐसी खिड़की थी जिसमें ग्रिल नहीं थी। उसी खिड़की के नीचे पार्किंग की जगह थी जहां अकसर खई गाड़ियां खड़ी रहती थीं।
उसी दिन वहां कोई गाड़ी नहीं खड़ी थी। खिड़की पर खड़ी दिव्या ने मुड़ कर सही से खड़े होने की कोशिश कर रही थीं कि तभी उनका पैर फिसल गया। दिव्या सीधे नीचे जमीन पर जाकर गिरीं। पांचवे माले से गिरने के कारण दिव्या पूरी तरह खून में लतपत थीं। उन्हें तुरंत ही कूपर अस्पताल ले जाया गया। लेकिन अफसोस कि तब तक देर हो चुकी थी। अस्पताल के एमर्जेंसी वार्ड में दिव्या ने दम तोड़ दिया।
पांच साल तक इंवेस्टीगेशन करने के बावजूद पुलिस को कोई ठोस वजह नहीं पता चली। नतीजतन, पुलिस ने रिपोर्ट में नशे में बालकनी से गिरने को ही कारण बताया। ये गुत्थी आजतक सुलझ नहीं पाई है कि दिव्या की मौत हत्या थी या आत्महत्या। अगर वे दुखी थीं तो अपने लिए घर क्यों खरीदा? क्या वाकई उनके पति की कोई साजिश थी? जो भी हो, दिव्या सबके दिलों में आज भी बसती हैं।