भारत मे 90 फीसदी लोगों को नहीं पता कमजोर हड्डियों के ये 5 लक्षण! समय पर ध्यान ना देने से तिल्ली जैसी हो सकती है हड्डिया

Featured News

भारत मे 90 फीसदी लोगों को नहीं पता कमजोर हड्डियों के ये 5 लक्षण! समय पर ध्यान ना देने से तिल्ली जैसी हो सकती है हड्डिया

 उम्र के साथ-साथ हर एक व्यक्ति की हड्डियां कमजोर होने लगती है और लोगों को ये डर सताने लगता है कि कहीं आगे चलकर उन्हें हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का शिकार न होना पड़े। अगर आप भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं आपकी हड्डियां भी तो उम्र के साथ कमजोर और अस्वस्थ तो नहीं हो रही हैं, तो आपके लिए जरूरी है कुछ संकेतों को पहचानना। हड्डियों के कमजोर होने के पीछे के कारण को हर व्यक्ति ठीक से नहीं जान सकता है। कमजोर हड्डियों के लक्षण बहुत देर से दिखाई देते हैं और जब तक आपको इसका पता चलता है तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है।

90 फीसदी लोगों को नहीं पता कमजोर हड्डियों के ये 5 लक्षण! नजरअंदाज करने पर 'तिल्ली' जैसी हो सकती हैं हड्डियां

दरअसल हड्डियां एक लिविंग टिश्यू हैं और शरीर में पोषक तत्वों की मौजूदगी के आधार पर इनका आकार लगातार बदलता रहता है। लेकिन कुछ स्वास्थ्य स्थितियां ऐसी हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इसलिए जरूरी है कि बचपन से ही अपनी हड्डियों की देखभाल करें। आइए जानते हैं ऐसे 5 संकेतों के बारे में, जो हड्डियों के कमजोर होने का इशारा करते हैं।

हड्डियों के कमजोर होने के संकेत

1-नो साइन

कमजोर हड्डियों (ऑस्टियोपोरोसिस) का आमतौर पर ऐसा कोई संकेत नहीं होता है, जिसे कोई व्यक्ति आसानी से पहचान सके या फिर ये पता लगा सके कि उसकी हड्डियां कमजोर हो गई हैं। याद रखें, ऑस्टियोपोरोसिस एक साइलेंट बीमारी है और इसे इलाज के माध्यम से ही बेहतर तरीके से रोका जा सकता है।


-हल्की चोट से भी फ्रेक्चर

जब हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, तो साधारण सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन सकती है। आपको कलाई, रीढ़ या फिर कूल्हे में बहुत जल्दी फ्रेक्चर होने का खतरा रहता है। लेकिन किसी को इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि अगर हड्डी की सेहत का ख्याल रखा जाए तो पहली बार गिरने या फिर साधारण सी चोट फ्रैक्चर की वजह नहीं बन सकता। इसलिए, इस मामले में रोकथाम इलाज से बेहतर साबित होता है।


3-मांसपेशियों को नुकसान

मांसपेशियों के नुकसान को सरकोपेनिया कहा जाता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस का एक सामान्य संकेत हैं लेकिन ज्यादातर लोग इसे नजरअंदाज करते हैं। मांसपेशियां बिना किसी संकेत के फैट में तब्दील हो जाती हैं और हाथ व पैर पिलपिले दिखने लगते हैं। यहां यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मोटे व्यक्तियों की तुलना में बहुत पतले व्यक्तियों को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है


4-शरीर में तेज दर्द

हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी से शरीर में तेज दर्दहोता है, जिसे अक्सर गलत समझा जाता है। हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्वों में शामिल मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन शामिल हैं। भारतीय डाइट में प्रोटीन और कैल्शियम दोनों ही कम होते हैं और ऊपर से गतिहीन जीवनशैली भी हड्डियों के कमजोर होने का एक प्रमुख कारण है।

5-दूसरी बीमारियों के दौरान उपेक्षा

जब रोगी अन्य प्रमुख रोगों जैसे डायबिटीज, थायराइड, गठिया, कैंसर, मिर्गी, लिवर या किडनी रोग से पीड़ित होता है, तो अक्सर हड्डी के स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर दिया जाता है। ज्यादातर बड़ी बीमारियां हड्डियों को कमजोर करने का काम करती हैं। एंटासिड के लंबे समय तक उपयोग से ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।