दुर्लभ होगा सूर्यग्रहण का नजारा मगर न करें देखने की कोशिश

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दुर्लभ होगा सूर्यग्रहण का नजारा मगर न करें देखने की कोशिश


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25 साल बाद ऐसा ग्रहण, आज सूर्य का दक्षिणायन में होगा प्रवेश
आज होगा साल का सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात

बरेली। 25 सालों बाद एक बार फिर कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों का मत है कि यह ग्रहण मृगशिरा, आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगने जा रहा है। ग्रहण के दौरान बृहस्पति, शनि, मंगल, शुक्र, राहु और केतु वक्री अवस्था में होंगे। यह ग्रहण न ही आंशिक होगा और न ही पूर्ण ग्रहण ही रहेगा। ठीक ऐसा ही सूर्य ग्रहण साल 1995 में देखा गया था।
ज्योतिषाचार्य डॉ. सौरभ शंखधार के मुताबिक पूर्ण सूर्यग्रहण एक दुर्लभ दृश्य है जो हर 18 महीने में एक बार ही होता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के लिए, सूर्य को चंद्रमा द्वारा कम से कम 90 प्रतिशत तक ढंका होना जरूरी होता है। खगोलविदों से मिली जानकारी के मुताबिक इस ग्रहण की कंकणाकृती केवल उत्तरी राजस्थान, उत्तरी हरियाणा तथा उत्तराखंड राज्य के उत्तरी क्षेत्र में से होकर गुजरेगी। एक कंकड़ मार्ग वाले क्षेत्रों में इस ग्रहण का परम ग्रास लगभग 99.4 रहेगा, जबकि शेष उत्तरी भारत में परम ग्रास सामान्यत: 90 और कई स्थानों पर इससे कुछ अधिक भी होने की संभावना है। मध्य भारत में इसका परम ग्रास 70 से 90 तथा दक्षिणी प्रांतों में 30 से 70 तक पाया जाता है। बताया कि यह स्थिति राहु के अपनी उच्च राशि मिथुन में स्थिर होने की वजह से बने हैं।

80 सालों में तीन बार ही दिखेगा यह नजारा

ज्योतिषविदों का मानना है कि आज लगने वाला सूर्यग्रहण कई मामलों में अनूठा है। अगले 80 सालों में महज तीन बार ही कंकणाकृति ग्रहण दिखाई देगा जो एक वलयाकृति में रहेगा और इसकी अवधि महज 38 सेकंड रहेगी। इसके बाद इक्कीसवीं सदी में इस जैसे सिर्फ तीन सूर्यग्रहण भारत से नजर आएंगे वह भी क्रमश: 14, 30 और 21 वर्ष के अंतराल में पड़ेंगे। भारत से नजर आने वाला अगला सूर्यग्रहण 20 मार्च 2034 को पड़ेगा जो पूर्ण सूर्यग्रहण होगा।