चीन के वुहान लैब पर लगे हैं वायरस तैयार करने के आरोप, क्या आप इस लैब के बारे में जानते हैं?

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चीन के वुहान लैब पर लगे हैं वायरस तैयार करने के आरोप, क्या आप इस लैब के बारे में जानते हैं?


बीजिंग: चीन की एक लैब की आजकल बहुत चर्चा चल रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की इसी लैब में कोरोना वायरस बनाए जाने का दावा किया है. अमेरिका को इस वायरस से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. वहां इस वायरस से करीब 75 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. वहां 12.5 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. आइए इस लैब के बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या है वुहान लैब?


चीन के हुवेई प्रांत की राजधानी है वुहान. यह चीन का सबसे बड़ा औद्योगिक शहर है. इसी शहर में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. इस शहर में एक प्रयोगशाला है. इस प्रयोगशाला में दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों पर शोध किया जाता है. इसी लैब में कोरोना बीमारी पर भी रिसर्च किया गया था. इससे कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षणों के बारे में दुनिया को पता चल पाया. यह लैब 1956 में बनी थी.

इस साल फरवरी में, इस लैब ने दावा किया था कि नए वायरस और SARS कोरोना वायरस के 79.6 फीसदी लक्षण एक जैसे हैं. चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोनोवायरस के पूरे-जीनोम स्तर पर 96 फीसदी लक्षण एक जैसे थे.
लैब के शोधकर्ताओं ने पहले ही चीन में चमगादड़ और बीमारी के प्रकोप के बीच संबंधों पर व्यापक शोध किये थे. उन्होंने चमगादड़ों से मानव समुदायों में वायरस के संक्रमण के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था. वैज्ञानिकों को लगता है कि कोविड -19 चमगादड़ों में उत्पन्न हुआ था. यह पैंगोलिन की तरह एक अन्य स्तनपायी के माध्यम से लोगों में फैल सकता था. लेकिन अब तक इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है.



1-वुहान संस्थान में एशिया का सबसे बड़ा वायरस बैंक है. यहां पर 1,500 से अधिक स्ट्रेंस को संभाल कर रखा गया है.



2-यह एशिया की सबसे सुरक्षित लैब में मानी जाती है. इस लैब में इबोला जैसे वायरस को भी काबू में रखने के लिए जाना जाता है. ये वायरस पी4 की श्रेणी में आते हैं.


3-इसमें बनी पी4 लैब की लागत करीब 30 करोड़ यूआन है (320 करोड़ रुपये) . पी4 लैब 2018 में खुली थी जबकि इसी में बनी पी 3 लैब 2012 से चल रही थी. पी 4 में ही वैट कोरोना वायरस, इबोला, सार्स जैसे वायरस पर रिसर्च किया जाता है.

हालांकि, अमेरिकी खुफिया विभाग ने कहा कि उसने निष्कर्ष निकाला है कि कोरोना वायरस मानव-निर्मित नहीं था. इसने कहा कि वह इस बारे में जांच जारी रखेगा कि क्या संक्रमित जानवरों के संपर्क से या वुहान लैब में किसी "दुर्घटना" से इसकी शुरूआत हुई थी.

द वाशिंगटन पोस्ट में अमेरिकी राजनयिक ने पहले कहा था कि अमेरिकी अधिकारी इस बात को लेकर पहले से चिंतिंत थे कि सार्स जैसे बैट कोरोना वायरस को लेकर लैब में पर्याप्त इंजताम नहीं थे. संस्थान ने कहा है कि उसने 30 दिसंबर को अज्ञात वायरस के नमूने प्राप्त किए थे. 2 जनवरी को वायरल जीनोम अनुक्रम का निर्धारण किया और 11 जनवरी को डब्ल्यूएचओ को रोग के बारे में जानकारी प्रस्तुत की.



चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक जिस पी-4 लैब में कोरोना वायरस का परीक्षण किया गया उस लैब की डिप्टी डायरेक्टर शी झेंगली ने कहा कि अगर इस लैब से कोरोना लीक हुआ है तो वह अपना जीवन दांव पर लगा देगी. उनका मतलब था कि नए कोरोना वायरस का लैब से कोई लेना-देना नहीं है. शी शीर्ष बैट कोरोना वायरस एक्सपर्ट हैं. शी ने साइंटीफिक अमेरिकन के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि SARS-CoV-2 जीनोम अनुक्रम किसी भी बैट कोरोना वायरस से मेल नहीं खाता. उनकी प्रयोगशाला में इसका अध्ययन किया गया था.

शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि लैब से लीक होने का कोई प्रमाण नहीं है. इसका भी कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि वायरस वुहान बाजार से आया था. द लैंसेट में जनवरी में प्रकाशित चीनी वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक अध्ययन में पाया कि पहले कोविड -19 रोगी का बाजार से कोई संबंध नहीं था. हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लियो पून ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय की सहमति यह थी कि वायरस मानव-निर्मित नहीं है.