क्या सच में आ गई है कोरोना वायरस की दवा?

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क्या सच में आ गई है कोरोना वायरस की दवा?

कोरोना का वायरस लाख कोशिशों के बावजूद काबू में नहीं आ रहा है. दुनिया में कुल संक्रमित लोगों की संख्या 42.5 लाख के पार पहुंच गई है. अब तक 2.87 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका में हुई हैं. भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 70 हजार के ऊपर पहुंच गई है.



इजरायल और इटली ने किया वैक्सीन विकसित करने का दावा


कोरोना वायरस की विश्‍वव्‍यापी महामारी के बीच इजरायल के रक्षा मंत्री नफ्ताली बेनेट ने दावा किया है कि देश के मुख्य जैविक अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के लिए एक एंटीबॉडी विकसित करने में "महत्वपूर्ण सफलता" हासिल की है.

उन्‍होंने कहा कि हमारी टीम ने कोरोना वायरस को खत्म करने के टीके के विकास का चरण पूरा कर लिया है और अब इसके पेटेंट और बड़े पैमाने पर संभावित उत्‍पादन के बारे में काम चल रहा है. बेनेट ने सोमवार को नेस ज़ियोना में, इज़राइल के इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) की लैब्‍स का दौरा किया और कोरोना वायरस के लिए एक वैक्सीन विकसित करने का आदेश दिया.

इटली ने भी दावा किया है कि उसने दुनिया का पहला कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित की है जो मनुष्यों पर काम करता है. रोम के एक अस्पताल में किए गए परीक्षणों के अनुसार, उपन्यास कोरोना वायरस वैक्सीन में चूहों में उत्पन्न एंटीबॉडी होते हैं जो मानव कोशिकाओं पर काम करते हैं. प्रासंगिक रूप से, यह इटली में निर्मित उम्मीदवार वैक्सीन के परीक्षण का सबसे उन्नत चरण है.



अरब न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इटली कोविड-19 की वैक्सीन बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है जो इंसानों पर भी असरदार है. यह रिपोर्ट रोम के 'इंफेक्शियस डिसीज स्पैलनज़ानी हॉस्पिटल' में हुए एक परीक्षण पर आधारित है.

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन ने चूहों के शरीर में एंटीबॉडीज जेनरेट की है जिसका असर इंसान की कोशिकाओं पर भी होता है. दवा बनाने वाली एक फर्म 'ताकीज़' के सीईओ लिगी ऑरिसिशियो ने इटली की एक न्यूज एजेंसी के हवाले से कहा, 'यह इटली में वैक्सीन का परीक्षण करने वाले उम्मीदवारों का सबसे एडवांस स्टेज है.'

वैक्सीन का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों का इस्तेमाल किया था. सिंगल वैक्सीनेशन के बाद उन्होंने चूहों के शरीर में एंटीबॉडीज़ को विकसित होते देखा जो मानव कोशिकाओं को प्रभावित करने वाले कोरोनो वायरस को ब्लॉक कर सकता है. ऑरिसिशियो को उम्मीद है कि गर्मियों के बाद वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो जाएगा.

इस साल के अंत तक बनेगा टीका: ट्रंप
कोरोना वायरस की महामारी का सबसे बुरा प्रकोप झेल रहे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि देश साल के अंत कर कोरोना वायरस की वैक्सीन ढूंढ लेगा. ये जानकारी एएफपी न्यूज एजेंसी ने दी है. हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने दावा किया था कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान स्थित लैब से होने के उनके पास पुख्ता सबूत है. चीन के खिलाफ मुखर रहे पोम्पियो ने हालांकि यह नहीं बताया कि क्या चीन ने इस वायरस को जान बुझकर फैलाया है.



दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल


दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल प्री-क्लीनिकल ट्रायल पर हैं और उनमें से कुछ का इंसानों पर प्रयोग शुरू किया गया है.
इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अब तक इसकी दवा इजाद नहीं हो सकी है.



शायद ही कभी बन पाए कोरोना का टीका


इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लेकर अलर्ट किया है कि हो सकता है कि दुनिया में कोविड19 का वैक्सीन ही न मिले. दरअसल, ऐसी आशंका इसलिए जताई गई है कि एचआईवी और यहां तक कि डेंगू की भी वैक्सीन कई सालों के रिसर्च के बाद भी नहीं मिल पाई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोविड19 के विशेष दूत डॉ.डेविड नैबोरो ने कहा, 'यहां कुछ वायरस हैं जिनकी कोई वैक्सीन नहीं है. हम यह नहीं मान कर चल सकते कि वैक्सीन आ जाएगी और अगर यह आती है भी है, तो क्या सभी तरह की सुरक्षा और क्षमता के मानकों पर खरा उतरती है.' उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ चीफ भी कोरोना वायरस को लेकर भयावह भविष्यवाणी करते रहे हैं और अब एक्सपर्ट की इस आशंका ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है.

सीएएन की रिपोर्ट के मुताबिक नैबोरो ने कहा, 'सबसे बुरी स्थिति यह हो सकती है कि कभी कोई वैक्सीन ही न हो.' उन्होंने कहा कि लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं और फिर खत्म हो रही हैं, क्योंकि आखिरी मुश्किलों से पहले ही कई समाधान फेल हो जा रहे हैं.

चार दशकों से अब एचआईवी से 3.2 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन दुनिया उसका वैक्सीन नहीं ढूंढ पाई है. वहीं, डेंगू की बात की जाए तो यह हर साल चार लाख लोगों को प्रभावित करता है. वहीं, कुछ देशों में 9-45 साल के लोगों के लिए डेंगू का वैक्सीन मौजूद है.



हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बनी 'संजीवनी बूटी'


मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज में काफी कारगार बताई जा रही है. इसी के चलते भारत ने मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से यह दवां मांगी थी. इसके बाद भारत ने इस दवा पर प्रतिबंध आंशिक रूप से हटा दिया है. भारत ने अमेरिका सहित कई देशों को यह दवा भेजी है.



हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कितनी कारगर ?


एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन कोरोना के असर को कम कर सकता है. कई देशों में दोनों दवाओं के इस्तेमाल के अच्छे नतीजे मिले हैं. इससे उम्मीद जगी है.


आर्सेनिक एलबम 30 में कितना दम?
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस का इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. देश में एक होम्योपैथिक दवा की भी फोटो और दवा का नाम खूब वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है. इस दवा का नाम आर्सेनिक एलबम 30 है.

सोशल मीडिया में चल रहे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जिसको होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम 30 से नियंत्रित किया जा सकता है.


सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस का होम्योपैथिक इलाज इससे बीमारी से काफी हद तक बचा सकता है. कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. इस बारे में ईटी के रिसर्च करने पर यह पाया गया कि आयुष मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर इस महीने इस तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई दवा खाने की सलाह भी नहीं दी है.



WHO ने कहा, 'बिना परीक्षण वाली’दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक


कोरोना वायरस(COVID-19) की गिरफ्त में आकर विश्‍वभर में सैकड़ों लोगों की जान रोजाना जा रही है. समस्‍या ये है कि इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्‍सीन ईजाद नहीं की जा सकी है.

कई अन्‍य रोगों में इस्‍तेमाल होने वाली दवाओं का इस्‍तेमाल कोरोना वायरस से पीडि़त लोगों पर किया जा रहा है. हालांकि, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) ने इसे लेकर पूरे विश्‍व को चेतावनी दी है कि ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है.