कच्चे तेल के दामो मे भारी गिरावट, होगा निवेशको को फायदा इंडियन ऑइल्स के शेयर मे रिकॉर्ड तेजी

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कच्चे तेल के दामो मे भारी गिरावट, होगा निवेशको को फायदा इंडियन ऑइल्स के शेयर मे रिकॉर्ड तेजी

कच्चे तेल की कीमतों में अचानक गिरावट आर्इ है. इसने सरकार की चिंता कम की है. र्इंधन के बढ़ते दाम से परेशान आम आदमी को भी इससे राहत मिलने की उम्मीद है.




मांग के मुकाबले अधिक आपूर्ति कच्चे तेल के भाव लुढ़कने की मुख्य वजह है. मासिक आधार पर अमेरिका में क्रूड ऑयल का उत्पादन बढ़ रहा है. अक्टूबर, 2018 में यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड उत्पादक देश बन गया.

अमेरिका ने भारत सहित कर्इ देशों को र्इरान से तेल आयात करने की अनुमति दे दी है. इसके चलते र्इरान से तेल आपूर्ति की चिंताएं कम हो गर्इ हैं.

कमोडिटी मार्केट की अटकलों ने भी क्रूड के दामों की गिरावट में भूमिका निभार्इ है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी.के. विजयकुमार कहते हैं, "क्रूड अब सिर्फ कमोडिटी नहीं है. यह फाइनेंशियल प्रोडक्ट भी बन गया है. इस पर अरबों डॉलर लगाए जाते हैं."

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विश्लेषकों का कहना है कि इस रेट पर कीमतों में और गिरावट आने के आसार कम ही हैं. आनंद राठी कमोडिटीज में डायरेक्टर (कमोडिटीज एंड करेंसीज) नवीन माथुर कहते हैं, "लोग कीमतों के घटने पर दांव लगा रहे हैं. मुमकिन है कि कुछ समय के लिए कीमतों में और नरमी आए. ओवरसप्लार्इ की अनिश्चितताओं के बीच ब्रेंट क्रूड के दाम 54-55 डॉलर प्रति बैरल के नीचे बने रह सकते हैं."



अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर


कच्चे तेल के मूल्यों में तेज गिरावट से भारत का आयात बिल 2 लाख करोड़ रुपये तक घट सकता है

अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
क्रूड की कीमतों में नरमी आने से आयात बिल घटेगा. यह इसका सबसे बड़ा फायदा है. आर्इसीआर्इसीआर्इ प्रू म्यूचुअल फंड में र्इडी और सीआर्इओ शंकरन नरेन कहते हैं, "यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद सकारात्मक खबर है. कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से आयात बिल में करीब-करीब 30 अरब डॉलर (2 लाख करोड़ रुपये) की बचत होगी. हाल में व्यापक अर्थव्यवस्था पर दबाव मुख्य रूप से क्रूड की अधिक कीमतों के कारण रहा है."

डॉलर के मुकाबले 74.39 के स्तर पर पहुंच चुके रुपये ने भी अच्छी वापसी की है. अभी यह 70 डॉलर के करीब कारोबार कर रहा है.

इक्विटी निवेशकों के लिए सीमित फायदा
अर्थव्यवस्था के लिए बेशक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट अच्छी है. लेकिन, शेयर बाजार के लिए यह अर्थव्यवस्था जितनी अच्छी नहीं है. यानी इसका उसे सीमित फायदा ही मिलता है. सच तो यह है कि क्रूड के ऊंचे स्तरों पर शेयर बाजार बढ़ता है. वहीं, निचले स्तरों पर इसमें गिरावट आती है.

शेयर बाजार को सीमित फायदा
दो वर्षों 2012-2014 को छोड़ क्रूड की कीमतों और शेयर बाजार ने साथ कदमताल किया है.

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नरेन कहते हैं, "जब तेल की कीमतें ठीकठाक बढ़ती हैं तो तेल निर्यातक देश भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश शुरू कर देते हैं. कीमतें घटने पर ये पैसा निकालते हैं." हालांकि, अन्य देशों से पैसों का प्रवाह बने रहने की उम्मीद है. इसलिए क्रूड में गिरावट का एफआर्इआर्इ के निवेश पर कोर्इ खास बुरा असर नहीं होगा. बशर्ते क्रूड की कीमतें 30-40 डॉलर प्रति बैरल के नीचे न पहुंच जाएं.

किन्हें नफा, किन्हें नुकसान
नरेन कहते हैं, "आयातकों, खासतौर से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) और कंज्यूमर ड्यूरेबल फर्मों को फायदा होगा. पेट्रोल/डीजल की कीमतें घटने से ऑटो जैसे सेक्टरों को भी लाभ मिल सकता है."

हाल में क्रूड की ज्यादा कीमतों की सबसे ज्यादा मार ओएमसी को पड़ी. इनसे सरकार ने अपने मार्जिन में एक रुपये की कटौती करने को कहा. सरकार घरेलू तेल की कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की पक्षधर रही है. यही कारण है कि सितंबर तिमाही में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आर्इओसी) ने अर्निंग (एबिटडा) में 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की.

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क्रूड के दाम बढ़ने के साथ ओएमसी अपने मार्केटिंग मार्जिन को वापस हासिल कर सकेंगी. कर्इ अन्य कारणों से भी आर्इओसी अब बेहद आकर्षक दिख रही है.

पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटने से ऑटोमोबाइल की मांग बढ़ जाती है. हाल में रुपये के मजबूत होने से ऑटो निर्यातकों को नुकसान हुआ. लेकिन, जो घरेलू मांग को पूरा करते हैं, उन्हें फायदा होगा.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय निर्यातकों पर प्रतिकूल असर होगा. कारण है तेल निर्यातक देशों से मांग घटेगी. हालांकि, बड़ी लिस्टेड कंपनियों पर इसका सीमित असर ही होगा.

इन शेयरों में दिख रही है तेजी की उम्मीद

इन शेयरों में दिख रही है तेजी की उम्मीद

सन फार्मास्यूटिकल्स
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इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन
Master (3)


इंफोसिस
Master (4)


महिंद्रा एंड महिंद्रा
Master (5)