कोरोना वायरस: डॉक्टरों की दुविधा, किसका इलाज करें और किसे छोड़ दें

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कोरोना वायरस: डॉक्टरों की दुविधा, किसका इलाज करें और किसे छोड़ दें

इटली में कोरोना वायरस से जूझ रहे डॉक्टरों की हालत बड़ी ख़राब है क्योंकि वो चाह कर भी सभी मरीज़ों पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं.
इटली में कोरोना वायरस से संक्रमण के हर दिन सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से अस्पतालों में अब बिस्तर कम पड़ने लगे हैं. डॉक्टर दुविधा में हैं कि किस मरीज़ को जान बचाने वाले उपचार की ज़रूरत है और किसे अपेक्षाकृत कम ज़रूरत है.


इटली के उत्तरी क्षेत्र लोम्बार्डिया के अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट के प्रमुख, डॉक्टर क्रिश्चियन सेलेरोली ने एक स्थानीय अख़बार को बताया, "यदि 80 से 95 साल उम्र वाले किसी व्यक्ति को बहुत अधिक तकलीफ़ है तो आप शायद इलाज नहीं करना चाहेंगे."
उन्होंने कहा, "ये बहुत ख़तरनाक शब्द हैं लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि यही सच है. हम कोई चमत्कार नहीं कर सकते. मैंने देखा है कि 30 साल का अनुभव वाली नर्सें भी इस संकट में चीख-पुकार कर रही हैं."
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार 15 मार्च को इटली में कोरोना वायरस की वजह से 368 लोगों की मौत हुई जिसके बाद यहां मौतों का आंकड़ा 1809 पहुंच गया है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, जापान के बाद इटली दुनिया का दूसरा देश है जहां सबसे अधिक बुज़ुर्ग आबादी है.
इसका मतलब ये है कि वायरस की चपेट में आने पर उनके बीमार होने का ख़तरा अधिक है.
इटली में इंटेंसिव केयर यूनिट वाले लगभग 5200 बिस्तर हैं जिनमें से अधिकतर पर ऐसे मरीज़ भर्ती हैं जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है.